गोंडा

गोंडा

कल से यह नाम काफी चर्चा में है । स्वच्छता रैंकिंग में नीचे से टॉप किया है । मुझे प्रसंगवश राग दरबारी का रिक्शा वाला याद आ गया । श्री लाल शुक्ल जी के काल जयी उपन्यास राग दरबारी में शुरूआती पन्नों में ही इसका जिक्र है जिसमें एक रिक्शा चलाने वाले गोंडा वाले रिक्शे चालक को हिकारत भरी बातों से अपमानित करता है ।
सच कहु काफी साल पहले जब पहली राग दरबारी पढ़ी थी तो गोंडा के लिए वही छबि बनी रही ।
हमेशा सोचता रहा कि शुक्ल जी की गोंडा से क्या अदावत थी ? कल की रैंकिंग से यही समझ कि शुक्ल जी कितने ज्यादा दूरदर्शी थे । वैसे एक और बड़ी रोचक बात बताता हु पिछले कुछ वर्षो से नए लेखक , व्यंगकार एक हिंदी शब्द का प्रयोग बहुत करने लगे है “लौंडे” । काफी दमदार शब्द है पर यह भी शुक्ल जी ही देन मानी जा सकती है । राग दरबारी में इस शब्द के भरपूर, सार्थक प्रयोग किया गया है ।

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