मेरा वजन B.Ed. करने के दौरान बढ़ना शुरू हुआ , उन दिनों इसका कारण मिठाई खाना था , खूब मिठाई , क्रीम वाले बिस्कुट , नमकीन खाता। इसके चलते वजन बढ़ना तो शुरू हुआ पर उसके साथ फैट भी बढ़ने लगा।
शुरू में तो बड़े मजे से कहता कि पेट निकला है तो क्या हुआ, खाते पीते घर का हूँ। मुझे बीच का वजन याद न आता। लखनऊ में आर्मी वाली जॉब में भी फोटो देखता हूँ तो वहां भी एकहरा शरीर दिखता है , जब अहमदाबाद गया एक्साइज डिपार्टमेंट में तब शरीर बहुत तेजी से फैला। उसके कुछ कारण थे, उसी दौरान बाहर होटल में खाने की आदत पड़ी , कई बार खुद से और कई बार दोस्तों के साथ।
अहमदाबाद में वीकेंड पर बाहर खाने का चलन सा है। अधिकतर शनिवार शाम को बहार ही खाना खाया होगा। ऑडिट में काम करने के दौरान , लंच बाहर होता , प्रायः कम्पनी की तरफ से , किसी अच्छे , फेमस होटल में। नई नई जगह , नए नए व्यंजन। उन दिनों 80 किलो वजन फिक्स सा था। पेट बाहर निकला था पर अपने आप को स्मार्ट फील करता , तमाम बार यह भी सुनने को मिलता कि वर्दी के लिए शरीर भरा पूरा होना चाहिए तभी जँचती है।
उन दिनों भी बड़ा मन होता था फिट होने का पर समय न था , नौकरी से जो भी समय बचता , upsc में चला जाता।
2018 में चयन के बाद लगा जिंदगी आसान हो जाएगी। रिजल्ट के कुछ दिन बाद ही रानिप , अहमदाबाद में एक जिम ज्वाइन किया। कुछ महीने ही गया होगा , थोड़ा बहुत चीजे पता चली , वजन फिर भी न कम हुआ। कारण था चयन के बाद पार्टी काफी बढ़ गयी , कुंदन भाई के घर अक्सर देर रात तक पार्टी हो जाती , उन दिनों कुंदन भाई अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पोस्टेड थे , इसलिए पार्टी भी काफी शानदार होती थी।
2019 में दिल्ली आ गया , ट्रेनिंग के दौरान जिम शुरू किया , अपने आप ही जो समझ आता करता। ट्रेनर अफ़्फोर्ड कर सकता था पर किया नहीं पता नहीं सब खुद से करने की आदत सी है। uspc में इसी जिद के चलते कोई कोचिंग न ज्वाइन की। खैर अपने आप ट्रेनिंग सेण्टर के छोटे से जिम में कुछ न कुछ करता, टिक टॉक का दौर था , उसी में वीडियो देखता और कभी कभी अपने भी डाल देता।
दो साल में तमाम गैप आये पर वर्कआउट जारी रहा और अंत में वजन 73 kg था , जोकि 83 kg से गिर कर आया था। इस समय मेरा ट्रांसफॉर्मेशन काफी विज़िबल था , लोग टोकते कि काफी बदल गए हो। वैसे इसमें एक सबसे बड़ा राज था कि लक्ष्यदीप में ट्रेनिंग के दौरान मुझे चिकनपॉक्स हो गया था , कोच्चि में अकेले होटल में पड़ा था , कई दिनों तक मुँह से खाना न जा पाता। गले के अंदर भी दाने थे। उसी दौरान पहली बार वजन 78kg तक आया था बाकि उसके बाद जोश में , खाना कम करके 73kg तक गया था।
ट्रेनिंग के बाद, फिटनेस के लिहाज सबसे बुरा वक़्त आया, पार्टी का इतना ज्यादा दौर आया कि हर वीक में कोई न कोई पार्टी। बस कोई मिले तो बोलना होता था चलो बैठते है। पद के हिसाब से गिफ्ट में भी ऐसी चीजे जो आपके फिटनेस की ऐसी तैसी कर दे। पूरा जाड़ा गाजर का हलवा , गर्मी की तरफ घेवर। कहते है खाना बुरा न होता पर हिसाब से खाना चाहिए। मै बेहिसाब खाता था, ४ किलो तक गाजर हलवा एक साथ था , इस तरह से घेवर के दर्जनों पीस। इसके चलते वजन 85 kg तक चला गया। काजू कतली , मेवा लड्डू , छोला भटूरा , दाल मखनी मतलब कुछ भी बेहिसाब खाना।
पिछले दिसंबर 23 की 25 को ऐसे जैसे की बुध्दत्व मिला हो। उन दिनों मैंने एटॉमिक हैबिट पढ़ी थी. उससे काफी बढ़िया बातें पता चली। फिर से वर्कआउट शुरू किया, हर रोज की पिक्स ली और संभाल के रखी। जुलाई 24 आते आते काफी हद तक फैट कम हो गया और मसल भी उभरने लगे। अगस्त 24 , से रनिंग करने लगा। धीर धीरे रनिंग बढ़ गयी , स्ट्रेंथ ट्रेनिंग कम हो गयी। तब से अब तक एक फुल मैराथन (42 km ), 7 हाफ मैराथन (21km ) में प्रतिभाग कर चूका हूँ। स्टमिना काफी हद तक बढ़ चूका है पर खान पान अभी भी बंद न हुआ है। इसके चलते वो परिणाम न मिले है जो मिलने चाहिए।
इस पोस्ट के जरिये, यह सब बातें इसलिए भी शेयर कर रहा हूँ ताकि अब इसका दबाव मुझ पर पड़े , जब लोग पूछते नहीं तब तक दबाव नहीं पड़ता। तमाम बार सोचा कि पोस्ट करू पर लगता था कि यह सफर आसान न है। लोग मजे लेंगे पर अब लिखकर बता रहा हूँ अब से खान पान पर सबसे ज्यादा ध्यान रखा जायेगा। तभी परिणाम मिलेंगे।
6 साल पहले किसी से शर्त लगी थी। उसका सलेक्शन न हो रहा था। मैंने कहा चलो शर्त लगाते है कि तुम्हारा सिलेक्शन पहले होगा या मेरे एब्स बनेंगे। मेरे एब्स बनते बनते रह गए। उसका सलेक्शन अब लगभग होने को है इसलिए मुझे ज्यादा गंभीर होना पड़ रहा है , आखिर हारना किस को पसंद है।
(इन दिनों )
© आशीष कुमार, उन्नाव , उत्तर प्रदेश।
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