मैंने कब कहा

मैं नया कवि हूँ
इसी से जानता हूँ
सत्य की चोट बहुत गहरी होती है ;
मैं नया कवि हूँ
इसी से मानता हूँ
चश्में के तले ही दृष्टि बहरी होती है,
इसी से सच्ची चोटे बाँटता हूँ
झूठी मुस्काने नहीं बेचता

सर्वेसवर

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