No

तुम्हारी ‘न ‘
प्रिय अगर तुम
मापना चाहो 
मेरे प्रेम की हद
तो सुनो
ये जो मजाक में
भी जो तुम मुझे 
अस्वीकार करती हो
या कह देती हो ‘नहीं’ 
यह मुझे गहरे तक 
उदास कर जाता है,
पल में लगती हो
कि तुम कितनी अजनबी
जैसे कि मेरा कोई हक 
न बाकी रहा हो।
© आशीष कुमार, उन्नाव
21 जनवरी 2020

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