Death of love

#ठंड

कॉफी पीने के बाद वो बाहर खुली छत के किनारे खड़े थे। कई दिनों से वो मिल रहे थे तमाम बातें भी करते। दोनों ही एक दूसरे की बातें बड़े गौर से सुनते, प्रायः उनकी आंखों में खुशी की एक चमक दिखती। 
वो काफी देर से बाहर खड़े थे। लड़की अपनी धुन में बातें किये जा रही थी, लड़का हूँ हा करते हुए वो उसके गोरे, नाजुक हाथों को गौर से देख रहा था। वो बहुत देर से उन हाथों को छूना चाहता था पर अजब कसमकश थी। वो छू न पा रहा था। वो शंकित था कि पता नहीं उसके भावों को कहीं गलत न समझा जाय।लड़की ने अपने दोनो हाथ जीन्स की पॉकेट में डाल रखे थे।
लड़के से जब रहा न गया, उसने पूछा कि तुम्हारे हाथों को काफी ठंड लग रही है क्या ? 
“हां,आज काफी ठंड है । ” कहते हुए उसने अपने हाथों को और भीतर कर लिया।
खलील जिब्रान ने कहा है कि जो कहा गया पर समझा नहीं  गया और जो समझा गया पर कहा न गया के बीच में तमाम मुहब्बत की मौत हो जाती है।
(17 जनवरी, 2020)
© आशीष कुमार, उन्नाव।

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