Poem : promise

एक वादा

प्रिय सुनो,
मुझसे करो एक वादा
नहीं नहीं 
शंकित न हो
बस एक छोटा आसान सा वादा
वादे हमेशा ही
आसान व सहज होने 
चाहिए ताकि वो निभाये 
जा सके ताउम्र 
बगैर किसी दुविधा के।
मुझे करो बस इतना
वादा कि हम आज 
जितने करीब है
उतने करीब रहेंगे उम्रभर
जैसे पकड़ लेता हूँ हाथ
सुलझा देता हूँ आपके बाल
अपनी अगुलियों से
लगा लेता हूँ गले से
निःसंकोच,
वादा करो कि जैसे
तुम भी टिका देती हो 
अपना खूबसूरत चेहरा 
मेरे कंधों पर,
सिमिट आती हो आगोश में मेरे
बगैर किसी परवाह के
सहलाती हो मेरे हाथों को
कभी कभी अनायास ही
आ जाती हो कभी भी, कहीं भी
बुलाने पर मेरे
नहीं करती हो अस्वीकार
साथ में देखने को चलचित्र
पढ़ती हो मेरे चेहरे को 
समझती जाती हो मेरे हर इशारे को
और उन तमाम बातों को
जो प्रेम में कभी कही नहीं जाती है।
प्रिय, बस इतना सा वादा करो 
कि उम्र के किसी भी दौर में
कैसे भी मोड़ पर 
जब हम मिले तो
रहे कम से कम इतना करीब
जितना कि इन दिनों हैं।
*6 जनवरी, 2020
©आशीष कुमार, उन्नाव 

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