Story of a great teacher : Pro. Anil Gupta

वो अध्यापक जिनके पढ़ाये लड़के करोड़ो की जॉब पाते है
( प्राक्क्थन :- तमाम युवा लड़कों की भांति मैं जब इस तरह की खबर अख़बार में पढ़ता  था कि अमुक लड़को को करोड़ो का पैकेज मिला तो मन में सबसे पहले यही सवाल उठता कि यार इनको क्या पढ़ाया जाता होगा और इनको पढ़ाने वाले कौन लोग होंगे। मन में कहीं इच्छा थी ऐसे लोगों से मिलने की और एक दिन उनसे मुलाकात हो ही गयी )
अहमदाबाद में स्पीपा नामक लोक प्रसाशन का महत्वपूर्ण संस्थान है। उसके दो सेण्टर है।  एक जो इसरो के सामने है वो इन दिनों तोड़ कर फिर से बनाया जा रहा है। यह उन दिनों की बात है जब यहाँ पर एक बड़ा सा सेमिनार हाल था। उस हाल में मैंने प्रो पुरुषोत्तम अग्रवाल( प्रसिद्द आलोचक व पूर्व सदस्य , संघ लोक सेवा आयोग ) , इरा सिंघल मैडम ( आईएएस   )जैसे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व को सुना और समझा था। ऐसे ही एक सेमिनार में उनको देखा। मैं जब पहुँचा तब उनका लेक्चर शुरू हो चुका था। न नाम पता था और वो क्या है यह भी नहीं जानता था। 
बात हो रही थी ग्रास रुट इनोवेशन की। अगर हिंदी में कहे तो जमीनी स्तर के नवाचारों की। लगभग 1 घंटे उनको सुना और बस सुनता ही रहा। ऐसे ऐसे विचार कि दिमाग के तंतु खुल जाये। प्रथम दृष्ट्या लगा कि वो दिव्य विभूति है। लेक्चर खत्म हो गया।   संचालक मृणाल पटेल ( मृणाल।ऑर्ग ) ने घोषणा की कि सर ने अपना मानदेय स्पीपा को ही छात्र हित संवर्धन हेतु वापस कर दिया है । दरअसल स्पीपा में हर लेक्चर देने वाले को कुछ मानदेय देने की व्यस्था है। सेमिनार हाल में बहुत भीड़ थी पता नहीं यह बात कितने लोगों ने सुनी व् नोटिस की थी। मुझे तो यह चीज और भी  प्रभावित कर गयी।
मैं उनसे मिलना चाहता था इसलिए दौड़ कर बाहर निकला। सर , तेजी से निकले और उनको गाड़ी लेकर चली गयी। यह 2015 / 2016  की बात होगी.बाद में उनके बारे में मैंने जानकारी जुटाई।  उनका नाम प्रो अनिल गुप्ता था और वो आईआईएम अहमदाबाद में पढ़ाते थे। मन में उनसे मिलने की बड़ी इच्छा था पर जब तक समय न हो तक चीजे घटती नहीं है। 
इस साल (2018 )  फरवरी में जब स्पीपा जब upsc के लिए मॉक इंटरव्यू आयोजित कर रहा था , एक में अनिल सर को बुलाया गया था। दुर्भाग्य से उस दिन मुझे घर आना पड़ा था ।  इसलिए उनसे मिलते  मिलते रह गया। 
भला हो मनोज सोनी ( ममता संस्थान , गाँधीनगर ) सर का।  उन्होंने अनिल सर से समय लिया और इंटरव्यू देने वाले  जिन छात्रों को रूचि थी उनको लेकर सर  के घर गए।  घर के बेसमेंट में सर ने ऑफिस बना रखा है। उस दिन 10 से भी कम लोग थे , इसलिए बढ़िया से जानने व् सुनने का मौका मिला। वही पर बैठे बैठे मन में ख्याल आया कि सर इतने योग्य है , इनको कोई पुरुस्कार क्यों नहीं दिया गया. बाद में गूगल किया तो पता चला कि उन्हें तो २००४ के आस पास ही पदम् श्री दिया जा चूका है।
इन दिनों नवाचारों पर बड़ा जोर दिया जा रहा है। सर , की ख्याति वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र में है। कई वैश्विक संस्थानों  के वो सदस्य है।   हनी बी नेटवर्क , नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन , शोध यात्रा आदि के बारे में अपने सुना हो तो समझ लीजिये इनके पीछे उनके ही विचार है। इस दिन वो अपनी अनोखी बातों व विचारों से गहरे तक प्रभावित किया। उन्होने एक ऐसे विषय पर बात की जिस पर मुझसे upsc के वास्तविक इंटरव्यू में उसी विषय पर बात हुयी। 
रिज़ल्ट आने के बाद एक बार फिर से उनसे मिलने का अवसर मिला । मिठाई , गिफ्ट की औपचारिकता  के बहाने मिला । इस बार भी समय बहुत कम मिला पर कम समय में भी वो तमाम गहरी बातें समझा देते है।  सर उन्ही दिनों कच्छ की तरफ शोध यात्रा पर जा रहे थे. ऑफर किया हो “चलो” । मन में बड़ी इच्छा होते हुए भी एकाएक छुट्टी आदि के लफड़े के चलते  जा न  सका। इतना जरूर है कभी न कभी उसमें जाऊंगा जरूर। सर व उनकी टीम गांव में जाकर जमीनी नवाचारों को संस्थागत जरूरी सहयोग मुहैया करती है। धन्य है ऐसे गुरुजन। उन्हें शत शत नमन।  
© आशीष कुमार , उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

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