Goods and Service Tax : Importance

वस्तु और सेवा कर के मायने 
1 जुलाई 2017 भारत के लिए बेहद अहम दिन बन गया। लम्बे से टल रहे वस्तु एवं सेवा कर को बड़ी धूम धाम से लागू कर दिया गया है। एक राष्ट और एक कर के नारे के साथ लागू किये कर को आम नागरिक के साथ साथ खास नागरिक को यह समझने में दिक्क्त आ सकती है कि जब क्रेन्द्र, राज्य व संघ राज्य क्षेत्र  के लिए अलग -अलग जी यस टी लागु किये जा रहे है और करों की दर चार प्रकार ( 5 , 12 , 18 और 28 प्रतिशत ) की रखी गयी है तब उस एक कर और एक राष्ट के नारे के मतलब क्या हुआ ?  
मानव का यह मूल स्वभाव है जब कोई बड़ा बदलाव होता है तो उसे स्वीकार करने में हिचकिचाता है वजह उसे बने बनाये ढर्रे में  रहने की आदत पड़ चुकी होती है। वस्तु एवं सेवा कर को लेकर भी यही बात कही जा सकती है। पिछले सदी के अंतिम दशक में जब बैंक में कम्प्यूटर लगाए गए तो उनका जम कर विरोध किया गया था , ऐसी आशंका व्यक्त की गयी थी कि यह बैंक में रोजगार को सीमित  कर देंगे। जबकि आज कम्प्यूटर के बगैर बैंक की कल्पना नहीं की जा सकती है। 
जी यस टी के लिए भले अभी राष्ट की तैयारी पूरी न हुयी हो पर इसे लागु करने में देर नहीं की जा सकती है। अप्रत्यक्ष करों में इनपुट क्रेडिट की चोरी बहुत बढ़ गयी थी। फर्जी इनवॉइस लगा कर क्रेडिट लेकर कंपनी बड़ी मात्रा में कर चोरी कर रही थी। इनपुट क्रेडिट की चोरी को लेकर लाखों केस विभिन्न कोर्ट , ट्रिब्यूनल में चल रहे है। वस्तु एवं सेवा कर की सबसे अच्छी बात इनवॉइस का डिजिटल होना है। इसमें एक चैन की तरह इनवॉइस में दर्ज वैल्यू आगे बढ़ेगी , इसके चलते इनपुट क्रेडिट की चोरी नहीं की जा सकेगी। इनपुट क्रेडिट लेने के लिए वस्तु एवं सेवा कर के नेटवर्क में आना ही पड़ेगा। इस तरह से टैक्स बेस भी बढ़ने की आशा की जा रही है। भारत में विकसित देशो की तुलना में कर आधार बेहद निम्न है।
 वस्तु एवं सेवा कर में डिजिटल व्यवस्था के चलते पारदर्शिता आएगी जिसके चलते सरकार की आय बढ़ेगी जिससे सरकार के पास सामाजिक व्यय करने की क्षमता बढ़ेगी।  इस प्रकार वस्तु एवं सेवा कर भारत के आर्थिक क्षेत्र के साथ साथ सामाजिक क्षेत्र में भी बदलाव लाएगा।     
आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *