अहा जिंदगी का सितम्बर 16 का अंक पढ़ा । उसमें कुछ बहुत अच्छी लाइन्स मिली ।
1 तू अपनी आवाज में गुम है , मैं अपनी आवाज में चुप
दोनों बीच खड़ी है दुनिया आईना ए अल्फाज में चुप
– उबैदुलाह अलीम
2 समाज सामाजिक संबधो का जाल है – मैकाइवर और पेज
3 शब्द संसार में मौजूद सबसे प्रबल शक्ति है । हम इसका प्रयोग सृजन के लिए भी कर सकते है और ध्वंस के लिए भी – येहूदा बर्ग
4- कहती है प्रकति , बसंत की भाषा में
चलो पार्टी की जाय – रोबिन विलियम