Common civil code

समान नागरिक संहिता को अभिनियमित करने से रोकने वाले कारक-


1.कट्टर धार्मिकता तथा रूढ़िवादिता- नागरिकों में शिक्षा तथा जागरूकता

अभाव, जिस कारण वे समान नागरिक संहिता का विरोध करते है।

2. राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी- राजनेता अपना वोट बैंक बनाये रखने के

लिए कोई भी कड़ा कदम उठाने से हिचकिचाते है।

3. समान नागरिक सहिंता भारत के नीति निर्देशक तत्वों में वर्णित है अतः

इसे किसी कोर्ट द्वारा लागू नही किया जा सकता, इसे लागू करने के लिए आदेश

संसद द्वारा ही जारी किया जा सकता है।

4. भारतीय संविधान के भाग 3 में वर्णित मौलिक अधिकारों में धर्म की

स्वतंत्रता प्रदान की गई है अगर नागरिक स्वयं से लागू नही करना चाहते तो

इसे उनके मौलिक अधिकारों के हनन के रूप में भी प्रतिबिंबित किया जा सकता

है।

वहीं समान नागरिक संहिता द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए भी समान कानून लागू

किये जायेगे जो की सविंधान में मौलिक अधिकारो में अल्पसंख्यकों को दिए

अधिकारो का हनन होगा। राज्य अल्पसंख्यकों के निजी मामलों में तभी

हस्तक्षेप कर सकता है जब स्वयं अल्पसंख्यक इसमें बदलाव चाहते हो।

5.धर्मनिरपेक्षता भारत के सविंधान की मूल संरचना है और राज्य से ये

अपेक्षा की जाती है की वह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करे।

6. निष्कर्षत भारत में समान नागरिक सहिंता लागू करने के लिए पहले नागरिको

को शिक्षित , जागरूक करना, उनमे सामजिक भेदभाव को कम करना, उनकी आर्थिक

स्थिति में समानता लाना, विभिन्न सामजिक कार्यक्रमों के माध्यम से जनमत

तैयार करना , अल्पसंख्यकों के मन से डर को समाप्त कर उन्हें सुरक्षित

महसूस करना होगा ताकि उन्हें ये न लगे की उनके अधिकारों का हनन किया जा

रहा है ।एक स्वच्छ राजनीतिक पहल की भी आवश्यकता है।

किसी पर भी समान नागरिक सहिंता थोपी नही जा सकती अतः माहौल ऐसा बनाया

जाये की सभी नागरिक स्वतः ही इसे स्वीकार करें।

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