डेल्ही का मुखर्जी नगर ……और इलहाबाद …….यह दोनों ही जगह मुझे
बहुत प्रिय रही है पर अफ़सोस यहाँ पर कभी लम्बा प्रवास नही रहा बस एक या २ दिन .
युवा शक्ति को समझना .. अपनी बारीक़ नजर से देखने के लिए यह सबसे माकूल जगह है ..
बहुत प्रिय रही है पर अफ़सोस यहाँ पर कभी लम्बा प्रवास नही रहा बस एक या २ दिन .
युवा शक्ति को समझना .. अपनी बारीक़ नजर से देखने के लिए यह सबसे माकूल जगह है ..
सफल – असफल लोगो की कितनी ही कहानियाँ ..कितने ही मिथक .. किस्से इतने
रोचक रोचक कि बस आप सुनते ही रहे .
रोचक रोचक कि बस आप सुनते ही रहे .
आज एक भूली – बिसरी कहानी याद आ रही है .. जो किसी ने कही सुनी थी और
मुझे सुनाई थी तो इस सुनी सुनाई कहानी की शुरआत होती है डेल्ही के मुखर्जी नगर से
..
मुझे सुनाई थी तो इस सुनी सुनाई कहानी की शुरआत होती है डेल्ही के मुखर्जी नगर से
..
कथानायक डेल्ही में रह कर काफी दिनों से तैयारी कर रहे थे कभी pre से
बाहर होते तो कभी मैन्स से तो कभी इंटरव्यू से .. काफी हताश हो चुके थे .. तभी
उनके जीवन में प्रेम का अंकुर जगा .. उन्हें अपनी नायिका मिल गयी .. तो कथानायक
सीनिएर थे और नायिका जूनियर थी …. नायक सारा साल नोट्स , gudience ,, नायिका को
उपलब्ध कराते रहे .. और जब अंत में रिजल्ट आया तो आप समझ सकते थे क्या हुआ होगा
… नायिका की रैंक १०० के अंदर थी .. आईएएस बन गयी थी .और कथानायक COMPULSORY इंग्लिश में फ़ैल हो गये थे ( सबसे से निराशाजनक समय )
बाहर होते तो कभी मैन्स से तो कभी इंटरव्यू से .. काफी हताश हो चुके थे .. तभी
उनके जीवन में प्रेम का अंकुर जगा .. उन्हें अपनी नायिका मिल गयी .. तो कथानायक
सीनिएर थे और नायिका जूनियर थी …. नायक सारा साल नोट्स , gudience ,, नायिका को
उपलब्ध कराते रहे .. और जब अंत में रिजल्ट आया तो आप समझ सकते थे क्या हुआ होगा
… नायिका की रैंक १०० के अंदर थी .. आईएएस बन गयी थी .और कथानायक COMPULSORY इंग्लिश में फ़ैल हो गये थे ( सबसे से निराशाजनक समय )
इसी दौरान नायक ने किसी मित्र के रूम में रोते हुए अपनी दुःख भरी
कहानी शेयर की थी संयोगवश उस रूम में वो साथी भी मौजूद थे जिहोने ने यह कथा हमे
सुनाई थी ..
कहानी शेयर की थी संयोगवश उस रूम में वो साथी भी मौजूद थे जिहोने ने यह कथा हमे
सुनाई थी ..
कहानी का यह हिस्सा काफी मार्मिक है .. नायक जब नायिका को बधाई देने
गये तो उसने बहुत बेरुखी दिखाई इतना अपमान किया कि वो बेचारे उसी शाम अपने घर कि
टिकट कटा कर हमेशा के लिए डेल्ही छोड़ने का मन बना लिया . अपनी बोरिया बिस्तर ले कर
स्टेशन भी पहुच गये . ट्रेन में भी बैठ गये तब उनके मन में एक विचार आया इस तरह से
वो हार कर , अपमानित हो कर लौट नही सकते … वो ट्रेन से उतर आये ( निश्चित ही
उनके मन में उस समय फैसल खान जैसे विचार रहे होंगे – बाप का,, दादा का ,,, सबका
बदला लेगा तेरा फैसल ..)
गये तो उसने बहुत बेरुखी दिखाई इतना अपमान किया कि वो बेचारे उसी शाम अपने घर कि
टिकट कटा कर हमेशा के लिए डेल्ही छोड़ने का मन बना लिया . अपनी बोरिया बिस्तर ले कर
स्टेशन भी पहुच गये . ट्रेन में भी बैठ गये तब उनके मन में एक विचार आया इस तरह से
वो हार कर , अपमानित हो कर लौट नही सकते … वो ट्रेन से उतर आये ( निश्चित ही
उनके मन में उस समय फैसल खान जैसे विचार रहे होंगे – बाप का,, दादा का ,,, सबका
बदला लेगा तेरा फैसल ..)
आगे की कहानी किसी हीरो सी रही ……. उनकी रैंक पता कितनी थी
……अंडर -१० ………… तो इस तरह से उनके दिन बदले ……यह पता नही कि उनकी
नायिका ने इस पर क्या टिप्पड़ी थी या फिर नायक ने उसे माफ़ किया या नही ………पर
यह कहानी .. मुखर्जी नगर में हजारों के लिए अम्रत सरीखी थी .. और कहानी परम्परागत
तरीके से साल दर साल चलती चली आ रही है
……अंडर -१० ………… तो इस तरह से उनके दिन बदले ……यह पता नही कि उनकी
नायिका ने इस पर क्या टिप्पड़ी थी या फिर नायक ने उसे माफ़ किया या नही ………पर
यह कहानी .. मुखर्जी नगर में हजारों के लिए अम्रत सरीखी थी .. और कहानी परम्परागत
तरीके से साल दर साल चलती चली आ रही है