अहा जिंदगी

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अहा जिंदगी का सितम्बर 16 का अंक पढ़ा । उसमें कुछ बहुत अच्छी लाइन्स मिली । 1  तू अपनी आवाज में गुम है , मैं अपनी आवाज में चुप दोनों बीच खड़ी है दुनिया आईना ए अल्फाज में चुप – उबैदुलाह अलीम 2 समाज सामाजिक संबधो का जाल है – मैकाइवर और पेज 3 शब्द […]

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Working under government

आज अहा जिंदगी का फरवरी का अंक लाया। यह मैगज़ीन  मैंने  इसके शुरआती दिनों में पढ़ी थी तब भी ज्यादा समझ में नही आयी थी और इन दिनों भी कुछ खास समझ में नही आती है। यह अलग बात है कि    Nishant Jain , Ias Topper 2015 ने जब से इसके बारे में बताया है

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