गीत

with my eyes

मेरी नजर में तुम  तुम्हारी सूरत जैसे सौम्य मूरत तुम्हारी आँखे मीठा सा शर्बत तुम्हारी नजर कतई जहर तुम्हारे काले बाल जैसे रेशमी जाल तुम्हारी मुस्कान बसती मेरी जान तुम्हारे लब लाल गुलाब तुम्हारी सांसे  दहकती आग तुम्हारी बातें शुद्ध शहद तुम्हारी कमर नदी का मोड़ तुम्हारे पाव  पीपल की छांव  तुम्हारा बदन अनमोल रतन […]

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Unoccurred

अघटित मेरी प्रिय तुमको वो कविता लिख रहा हूँ जो कई बार लिखकर मिटा दी  मुझे तुम वो अपने तमाम पत्र फिर से लिख दो,  जो तुमने तमाम बार लिखकर  फाड् दिए थे। दोहरा दो वो तमाम पल जब तुमने मुझे फ़ोन करने के लिए उठाकर  फिर रख दिया था। और हाँ उन्हीं कदमों को

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No

तुम्हारी ‘न ‘ प्रिय अगर तुम मापना चाहो  मेरे प्रेम की हद तो सुनो ये जो मजाक में भी जो तुम मुझे  अस्वीकार करती हो या कह देती हो ‘नहीं’  यह मुझे गहरे तक  उदास कर जाता है, पल में लगती हो कि तुम कितनी अजनबी जैसे कि मेरा कोई हक  न बाकी रहा हो। ©

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