चाँदनी चंदन सदृश
” चांदनी चन्दन सदृश हम क्यों कहे, हाथ हमें कमल सरीखे क्यों दिखे , हम तो कहेंगे कि चांदनी उस सिक्के सी है जिसमें चमक है पर खनक गायब है ।” जगदीश कुमार नई कविता में नए उपमानों पर जोर देते हुए ।
” चांदनी चन्दन सदृश हम क्यों कहे, हाथ हमें कमल सरीखे क्यों दिखे , हम तो कहेंगे कि चांदनी उस सिक्के सी है जिसमें चमक है पर खनक गायब है ।” जगदीश कुमार नई कविता में नए उपमानों पर जोर देते हुए ।