गाँव का आनंद
सिके हुए दो भुट्टे सामने आए तबियत खिल गयी ताज़ा स्वाद मिला दूधिया दानों का तबियत खिल गयी दाँतो की मौजूदगी का सुफल मिला तबियत खिल गयी बाबा नागार्जुन की एक कविता धीमी आंच में नरम नरम , नमक के व नींबू के साथ
सिके हुए दो भुट्टे सामने आए तबियत खिल गयी ताज़ा स्वाद मिला दूधिया दानों का तबियत खिल गयी दाँतो की मौजूदगी का सुफल मिला तबियत खिल गयी बाबा नागार्जुन की एक कविता धीमी आंच में नरम नरम , नमक के व नींबू के साथ