हिंदी साहित्य ( वैकल्पिक विषय )

3 drama for ias mains Hindi sahitya

सिविल सेवा में हिंदी साहित्य में कुल 3 नाटक पढ़ने है । भारत दुर्दशा  -भारतेन्दु हरिश्चन्द स्कन्दगुप्त   -जयशंकर प्रसाद आषाढ़ का एक दिन – मोहन राकेश तीनों इसी क्रम में रचे गए और उन पर तत्कालीन समय की मांग के अनुरूप विषय वस्तु रखी गयी । पहले 2 में गीतो की बहुलता है तो तीसरे […]

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दिव्या : यशपाल का उत्कृष्ट उपन्यास

दिव्या 1945   में लिखित बौद्धकालीन उपन्यास  ‘ दिव्या ‘ इतिहास नही , ऐतिहासिक कल्पना मात्र है  इतिहास विश्वास की नही , विश्लेष्ण की वस्तु है .  मनुष्य भोक्ता नही करता है .  यशपाल जी मार्क्सवादी विचारधारा के लेखक है , इस नावेल में इसी विचारधारा की पुष्टि होती है।   बौद्ध धर्म , हिन्दू

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Maila Anchal : by renu

 मैला आँचल  फणीश्वर  नाथ रेणु  द्वारा रचित 1954 में PUBLISHED  कथानक – बिहार के पूर्णिया जिला का मेरीगंज गावं   ” इसमें फूल भी है शूल भी , धूल भी , गुलाब भी , कीचड़ भी चन्दन भी सुंदरता भी है , कुरूपता भी – मै  किसी से दामन  बचाकर निकल नहीं पाया ”  ” अरे ,

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NOVEL Mahabhoj : BY Mannu bhandari

महाभोज  1979  में मन्नू भंडारी द्वारा रचित ,  रचनाकार ने अपने परिवेश के प्रति ऋण शोध के तौर पर लिखा है – ” घर में जब आग लगी तो। …… ”  उस समय के समाज -राष्ट का स्पष्ट चित्र खीचने की आकांक्षा  POLITICS , अपराध , MEDIA , POLICE की साठ -गाठ से किस तरह

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GODAN : A NOVEL BY PREMCHAND

गोदान प्रेमचन्द्र द्वारा १९३६ में रचित , उनका अंतिम और MOST IMPORTANT NOVEL  ग्रामीण संस्कृति , उत्सव , पर्व  धार्मिक कुरीतियाँ , अशिक्षा , अन्धविश्वास  महाजनी , उधार  लेने की प्रवत्ति  ग्रामीण -शहर के मध्य का अंतर -गोबर की चेतना में बदलाव इसके चलते दातादीन को सिर्फ ७० रूपये देने की बात करता है  परस्त्री

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BHARTENDU MANDAL / भारतेंदु मंडल

भारतेंदु मंडल   भारतेंदु हरिश्चंद के समय लेखक और कवियों का एक GROUP तैयार हो गया था जो आपस में साहित्य लेखन पर चर्चा , परिचर्चा करता था . इसे ही हिंदी साहित्य के इतिहास में भारतेंदु मंडल कहा जाता है .  इसके MEMBER में भारतेंदु हरिश्चंद , प्रताप नारायण मिश्र , बालकृष्ण भट्ट ,

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सरस्वती पत्रिका

सरस्वती पत्रिका  सन १९०० में नागरी प्रचारणी सभा , काशी की सहायता से प्रकाशन  संपादक – श्याम सुंदर दास , किशोरी लाल गोस्वामी , कार्तिक प्रसाद खत्री  AIM – HINDI भाषा का परिमार्जन  १९०३ से इसका सम्पादन – आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी   इस पत्रिका में विविध विषयो यथा जीवन चरित् , प्रकति , यात्रा

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भारतेंदु युग की ‘नए चाल की हिंदी’

भारतेंदु युग की ‘नए चाल की हिंदी’ भारतेंदु युग को संभवत आधुनिक युग का प्रवेश द्वार भी कह सकते है,यह एक तरह से प्राचीन तथा नवीन का संधि काल था। भारतेंदु ने अपने समय की परिस्थितयों का यथार्थ चित्रण किया है।यहाँ साहित्य की भाषा, शिल्प,प्रवृतियां तथा चिंतन में वृहद बदलाव देखने को मिला।1873 में भारतेंदु

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fort william college/ फोर्ट विलियम कॉलेज

फोर्ट विलियम कॉलेज  १८०० में लार्ड वेलेजली द्वारा स्थापित  अंग्रेजो को INDIAN LANGUAGE  के ज्ञान पाने में सहायता हेतु  प्रशासन , कानून , तथा खड़ी बोली के बारे में शिक्षा दी जाती थी।  कर्मचारियों की नैतिक दशा सुधारना , देश की भाषा , रीति -रिवाज से परिचित करना , उन्हें ADMINISTRATION में कुशल बनाना इसका

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Hindi Literature syllabus for upsc in hindi

हिंदी साहित्य – पहला पेपर – खंड क टॉपिक १  अपभ्रंश , अवहट्ट और प्रारंभिक हिंदी का व्याकरणिक और अनुप्रयुक्त स्वरूप टॉपिक २  मध्यकाल में ब्रज और अवधी का साहित्यिक भाषा के रूप में विकास  टॉपिक ३  सिद्ध नाथ सहित्य , खुसरो , संत साहित्य , रहीम आदि कवियों और दखनी हिंदी में           

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