Unoccurred

अघटित मेरी प्रिय तुमको वो कविता लिख रहा हूँ जो कई बार लिखकर मिटा दी  मुझे तुम वो अपने तमाम पत्र फिर से लिख दो,  जो तुमने तमाम बार लिखकर  फाड् दिए थे। दोहरा दो वो तमाम पल जब तुमने मुझे फ़ोन करने के लिए उठाकर  फिर रख दिया था। और हाँ उन्हीं कदमों को […]

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