Hindi Sahitya

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आप सतर्क रहना एक बात है जो मुझे काफी घुटन दे रही है। दरअसल पिछले दिनों एक कोचिंग से फोन आया, मेरे हिंदी साहित्य के नंबर पूछे और फ़ोन रख दिया। बताने की जरूरत नही कौन कोचिंग हो सकती है। यह सच है कि मैंने वहां  mains की टेस्ट सीरीज जॉइन की थी , पर […]

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Hindi sahitya for ias mains : Novels

आईएएस के लिए हिंदी साहित्य में कुल 4 novel पढ़ने है । गोदान – प्रेमचंद्र दिव्या  -यशपाल मैला आँचल  -रेणु महाभोज – मन्नू भण्डारी चारों नावेल अपनी विषयवस्तु , भाषा शैली , उद्देश्य की दृष्टि से सरस, रोचक , प्रभावी व अनूठे है । इनका रचनाकाल भी उक्त क्रम में ही है । गोदान में

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दिनकर की कविता मे राष्ट चेतना

दिनकर की कविता मे राष्ट चेतना  भावों के आवेग प्रबल    मचा रहे उर में हलचल    रेणुका  पूछेगा बूढ़ा विधाता तो मैं कहूँगा    हाँ तुम्हारी सृष्टि को हमने मिटाया। रे रोक युद्धिष्ठिर को न यहाँ    जाने दे उनको स्वर्ग धीर    पर फिरा हमें गांडीव गदा    लौटा दे अर्जुन भीम वीर।      हिमालय कितनी मणियाँ

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यशपाल का ” झूठा सच”

यशपाल का ” झूठा सच” भारत विभाजन की मार्मिक अभिव्यक्ति  दो भागो मे -1 वतन और देश 2 देश का भविषय  प्रमुख पात्र – जयदेव पूरी ,उसकी बहन तारा , उसकी प्रेमिका कनक , मास्टर राम लुभाया , इनके बड़े भाई राम ज्वाला , डा. प्राणनाथ , पहला भाग लाहौर की कथा है तो दूसरे

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दिव्या : यशपाल का उत्कृष्ट उपन्यास

दिव्या 1945   में लिखित बौद्धकालीन उपन्यास  ‘ दिव्या ‘ इतिहास नही , ऐतिहासिक कल्पना मात्र है  इतिहास विश्वास की नही , विश्लेष्ण की वस्तु है .  मनुष्य भोक्ता नही करता है .  यशपाल जी मार्क्सवादी विचारधारा के लेखक है , इस नावेल में इसी विचारधारा की पुष्टि होती है।   बौद्ध धर्म , हिन्दू

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NOVEL Mahabhoj : BY Mannu bhandari

महाभोज  1979  में मन्नू भंडारी द्वारा रचित ,  रचनाकार ने अपने परिवेश के प्रति ऋण शोध के तौर पर लिखा है – ” घर में जब आग लगी तो। …… ”  उस समय के समाज -राष्ट का स्पष्ट चित्र खीचने की आकांक्षा  POLITICS , अपराध , MEDIA , POLICE की साठ -गाठ से किस तरह

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GODAN : A NOVEL BY PREMCHAND

गोदान प्रेमचन्द्र द्वारा १९३६ में रचित , उनका अंतिम और MOST IMPORTANT NOVEL  ग्रामीण संस्कृति , उत्सव , पर्व  धार्मिक कुरीतियाँ , अशिक्षा , अन्धविश्वास  महाजनी , उधार  लेने की प्रवत्ति  ग्रामीण -शहर के मध्य का अंतर -गोबर की चेतना में बदलाव इसके चलते दातादीन को सिर्फ ७० रूपये देने की बात करता है  परस्त्री

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BHARTENDU MANDAL / भारतेंदु मंडल

भारतेंदु मंडल   भारतेंदु हरिश्चंद के समय लेखक और कवियों का एक GROUP तैयार हो गया था जो आपस में साहित्य लेखन पर चर्चा , परिचर्चा करता था . इसे ही हिंदी साहित्य के इतिहास में भारतेंदु मंडल कहा जाता है .  इसके MEMBER में भारतेंदु हरिश्चंद , प्रताप नारायण मिश्र , बालकृष्ण भट्ट ,

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सरस्वती पत्रिका

सरस्वती पत्रिका  सन १९०० में नागरी प्रचारणी सभा , काशी की सहायता से प्रकाशन  संपादक – श्याम सुंदर दास , किशोरी लाल गोस्वामी , कार्तिक प्रसाद खत्री  AIM – HINDI भाषा का परिमार्जन  १९०३ से इसका सम्पादन – आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी   इस पत्रिका में विविध विषयो यथा जीवन चरित् , प्रकति , यात्रा

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भारतेंदु युग की ‘नए चाल की हिंदी’

भारतेंदु युग की ‘नए चाल की हिंदी’ भारतेंदु युग को संभवत आधुनिक युग का प्रवेश द्वार भी कह सकते है,यह एक तरह से प्राचीन तथा नवीन का संधि काल था। भारतेंदु ने अपने समय की परिस्थितयों का यथार्थ चित्रण किया है।यहाँ साहित्य की भाषा, शिल्प,प्रवृतियां तथा चिंतन में वृहद बदलाव देखने को मिला।1873 में भारतेंदु

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