poem

with my eyes

मेरी नजर में तुम  तुम्हारी सूरत जैसे सौम्य मूरत तुम्हारी आँखे मीठा सा शर्बत तुम्हारी नजर कतई जहर तुम्हारे काले बाल जैसे रेशमी जाल तुम्हारी मुस्कान बसती मेरी जान तुम्हारे लब लाल गुलाब तुम्हारी सांसे  दहकती आग तुम्हारी बातें शुद्ध शहद तुम्हारी कमर नदी का मोड़ तुम्हारे पाव  पीपल की छांव  तुम्हारा बदन अनमोल रतन […]

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Unoccurred

अघटित मेरी प्रिय तुमको वो कविता लिख रहा हूँ जो कई बार लिखकर मिटा दी  मुझे तुम वो अपने तमाम पत्र फिर से लिख दो,  जो तुमने तमाम बार लिखकर  फाड् दिए थे। दोहरा दो वो तमाम पल जब तुमने मुझे फ़ोन करने के लिए उठाकर  फिर रख दिया था। और हाँ उन्हीं कदमों को

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Last Meeting

आखिरी मुलाकात सुनों एक दिन अनायास ही कहोगी कि अब यह हमारी अंतिम मुलाकात है याकि फिर  एक रात देर में करोगी आखिरी फ़ोन बतलाने के लिए कि अब न हो सकेगी कभी हमारी बात  उस दिन, उस रात के संवेदनशील क्षणों  में आपको जरा  भी ख्याल न रहेगा कि कैसे तुम मिटा रही हो

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Talk vs meeting

बात बनाम मुलाकात प्रियतमा  तुमने जो कहा बात होते रहने  जरूरी है बेहद मैंने कहा बात के साथ मुलाकात भी जरूरी है समय समय पर बात होने पर भले ही तुम्हारे मधुर शब्द मेरे अंतस में घोलते है प्रेमरस पर मुलाकात होने पर तुम्हें नजरों से छुआ जा सकता है आँखों से पिया जा सकता

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repetitions

#दोहराव के मायने  तमाम बार जब तुम्हें बुलाता हूँ अपने करीब नहीं बेहद करीब  और दोहराता हूँ  वही बातें कि तुम मुझे  बेहद पसंद हो या कि मैं तुम्हें बहुत  ज्यादा चाहता हूँ, करता हूँ जुनून से शिद्दत से, तुमसे प्यार तब तुम मेरे इन  दोहराव से कभी न परेशान होना या कि ऊबना इन

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with you

#तुम्हारे साथ मैं चाहता हूँ रहना  हमेशा ही तुम्हारे साथ  मैं चाहता हूँ जुनूनी प्रेम ताउम्र तुम्हारे साथ, मैं चाहता हूँ जीना भरपूर  हर पल, हर क्षण केवल व केवल  तुम से ही , प्रिय केवल तुम्हारे साथ। ©आशीष कुमार , उन्नाव। (17 जनवरी, 2020)

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kavita 05: Hisab – Kitab

कविता 5 : हिसाब किताब  जब मैं कहता हूँ कि तुम्हें पाने से पहले खो चुका हूँ तो अक्सर तुम नहीं समझ पाती कि मेरे कथन का निहितार्थ, दरअसल तुम ज्यादा दूर की  सोचती ही नहीं, नहीं बनाती हो लंबे चौड़े  सुव्यवस्थित, सौदेश्य नियम तुम बस वर्तमान में जीती हो हर पल, हर क्षण का

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