HAA TUM
हाँ बस तुम तुम हाँ बस तुम हर वक़्त तुम तुम्हारी बातें तुम्हारी ही यादें तुम समझो मुझे कि कितना गहरा प्रेम बस तुम से, तुम ही हो मेरी सोच का क्रेंद् मेरे अहसास का बिंदु ©आशीष कुमार, उन्नाव
हाँ बस तुम तुम हाँ बस तुम हर वक़्त तुम तुम्हारी बातें तुम्हारी ही यादें तुम समझो मुझे कि कितना गहरा प्रेम बस तुम से, तुम ही हो मेरी सोच का क्रेंद् मेरे अहसास का बिंदु ©आशीष कुमार, उन्नाव
बात बनाम मुलाकात प्रियतमा तुमने जो कहा बात होते रहने जरूरी है बेहद मैंने कहा बात के साथ मुलाकात भी जरूरी है समय समय पर बात होने पर भले ही तुम्हारे मधुर शब्द मेरे अंतस में घोलते है प्रेमरस पर मुलाकात होने पर तुम्हें नजरों से छुआ जा सकता है आँखों से पिया जा सकता