PREMGEET

AKELE ME

अकेले में  पहले के दिनों में जब भी अकेले होता मिलता स्व से  करता चिंतन, मनन व आत्मावलोकन। इन दिनों जबकि मैं  आपके प्रेम में हूँ, अकेले में मेरे विचारों  का क्रेंदबिंदु केवल व केवल आपका ही ख्याल आता हैं। अकेले में  बुनता हूँ तुमसे जुड़े  तमाम ख्वाब हवा देता हूँ  तमाम कल्पनाओं को अकेले […]

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तुम से दूर

यहाँ तुम से दूर  मैंने यहाँ  तुम से बहुत दूर आकर जाना  कि तुम मेरे लिए  क्या हो, यहाँ इतनी दूर आकर ही समझा कि तुम ही समझती हो मुझे सबसे बेहतर । यहाँ आकर  लगा कि जैसे कोई मरते वक्त याद करता है अपने सबसे करीबी को वैसे ही तुम मुझे याद आयी। यही

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HAA TUM

हाँ बस तुम  तुम हाँ बस तुम हर वक़्त तुम तुम्हारी बातें तुम्हारी ही यादें  तुम समझो मुझे  कि कितना गहरा प्रेम बस तुम से, तुम ही हो मेरी सोच का  क्रेंद् मेरे अहसास का बिंदु ©आशीष कुमार, उन्नाव

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