दिनकर की कविता मे राष्ट चेतना
दिनकर की कविता मे राष्ट चेतना भावों के आवेग प्रबल मचा रहे उर में हलचल रेणुका पूछेगा बूढ़ा विधाता तो मैं कहूँगा हाँ तुम्हारी सृष्टि को हमने मिटाया। रे रोक युद्धिष्ठिर को न यहाँ जाने दे उनको स्वर्ग धीर पर फिरा हमें गांडीव गदा लौटा दे अर्जुन भीम वीर। हिमालय कितनी मणियाँ […]
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