India & Africa relations

भारत -अफ्रीका सम्बन्ध 
पिछले दिनों , गांधीनगर में अफ्रीकन डेवेलपमेंट बैंक की 52 वी ( भारत में पहली बार )बैठक , भारत – अफ्रीका के प्रगाढ़ होते सम्बन्धो का सजीव उदाहरण है। भारत के अफ्रीका के साथ सम्बन्ध बहुत लम्बे समय से मधुर रहे है। उपनिवेशवाद के दौर में भारत ने अपनी आजादी मिलते ही अफ्रीकी देशो की जल्द आजादी की हिमायत की थी।  
समकालीन समय में अफ्रीका , समस्त विश्व के लिए निवेश के लिए सबसे मुफीद जगह मानी जाती रही है क्यूकि इस महाद्वीप का पिछड़ापन काफी सम्भावनाये रखता है। भारत एक उभरती अर्थव्यस्था के तौर पर अफ्रीका को एक बाजार के तौर पर भी देखता है। भारत से सस्ती दवा का निर्यात , कई अफ़्रीकी देशो के स्वास्थ्य सुरक्षा के लिहाज के काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 
पेरिस जलवायु संधि के एक रूप में भारत ने अंतर्राष्टीय सौर गढ़बंधन ( गुरुग्राम में मुख्यालय ) का नेतृत्व कर रहा है। जलयायु परिवर्तन से लड़ने के लिहाज से अहम मानी जा रही इस संधि की सफलता में अफ्रीका महाद्वीप काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कई अफ्रीकी देश भारत से इस संधि पर समझौता कर चुके है।  
भारत ने इस बैठक में एशिया – अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर के विकास के लिए प्रस्ताव रखा है। जापान इस परियोजना में अहम भूमिका निभाने की बात कर चूका है। चीन के महत्वपूर्ण परियोजना ‘वन बेल्ट वन रोड ‘ से अलग हटकर भारत ने इस नए आर्थिक गलियारे की घोषणा करके चीन की विकास नीति के समक्ष अपनी विशिष्ट कूटनीति का मजबूती से प्रदर्शन किया है। यद्पि चीन अफ्रीका में सबसे बड़ा निवेशक बना हुआ तथापि उसकी शोषक आर्थिक नीति की हमेशा से आलोचना होती रही है, समझौता और विकास के नाम पर दी गयी सहायता में छिपी शोषक आर्थिक नीति , अब अफ्रीकन देशों के लिए पुरानी बात हो चुकी है। समकालीन समय में भारत की सस्ती , खुली और उपयोगी आर्थिक व तकनीकी सहायता की चाह लगभग हर अफ्रीकी देश को है। भारत को इस महाद्वीप में छिपी सम्भावनाओ को पहचान कर इस दिशा में बहुआयामी कदम उठाने चाहिए। 
आशीष कुमार, 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *