2 पेन व डायरी
2 पेन व डायरी कुछ दिन से वो चौकीदार अंकल बहुत याद आ रहे है। काफी साल पहले की बात है , वो हमारे पड़ोसी थे। […]
2 पेन व डायरी कुछ दिन से वो चौकीदार अंकल बहुत याद आ रहे है। काफी साल पहले की बात है , वो हमारे पड़ोसी थे। […]
एक और साल बीत गया ! तमाम सालों से एक आदत सी पड़ गई है, डायरी में हर साल का विश्लेषण करना। यह साल कई मायनों में अलग रहा, इस साल सबसे कम पढ़ना हुआ, एक तरह से किताबों से दूर हो गया। लिखना भी कम ही हुआ पर हमेशा की तरह कम लिखा पर
कविता 5 : हिसाब किताब जब मैं कहता हूँ कि तुम्हें पाने से पहले खो चुका हूँ तो अक्सर तुम नहीं समझ पाती कि मेरे कथन का निहितार्थ, दरअसल तुम ज्यादा दूर की सोचती ही नहीं, नहीं बनाती हो लंबे चौड़े सुव्यवस्थित, सौदेश्य नियम तुम बस वर्तमान में जीती हो हर पल, हर क्षण का
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#SDM कभी 2 कुछ बड़ी सुखद खबरें अचानक मिलती है। कल रात में Rajesh Kumar Soni का मैसेज मिला कि उनका हरियाणा सिविल सेवा में sdm पद पर चयन हो गया है। कुछ दिन पहले जब महिपाल ( UP SDM ) वाली पोस्ट लिखी थी तब इस तरह के विचार आये थे कि अभी एक्साइज
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वो जो हमेशा रोते रहते हैं पिछले दिनों मैं घूमने के लिए दिल्ली से बाहर गया था. इस दौरान कुछ जाने अनजाने प्रतियोगियों से मिला। दो लोगों का जिक्र करूँगा। एक मेरे बहुत पहले के परिचित थे। दरअसल वो मुझे जानते थे पर मुझे ठीक से उनका चेहरा याद न था। एक साथी के जरिये
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धनिया पत्ती बात कुछ पहले की है अब उतने महत्व की भी न रही पर लिख ही डालते है। कुकिंग बहुत बहुत पहले से करने लगा था, ज्यों 2 बड़ा हुआ त्यों 2 कुकिंग और ज्यादा व्यवस्थित होती गयी। धीरे 2 समझ आया कि धनिया पत्ते के बगैर तो कुछ भी बना हो स्वाद
Story : A Vegetable seller in delhi Read More »
उन्नाव उन्नाव फिर से चर्चा में है, मेरी व्यथा यह है कि यह हर बार अपराध के लिए ही राष्टीय स्तर पर चर्चा में आता है। कहते है जन्मभूमि स्वर्ग समान होती है, अपनी मिट्टी से बड़ा लगाव होता है। मेरी तमाम तरह से कोशिश होती है कि उन्नाव , पूरे भारत में बढ़िया चीजों
Unnao : a sad truth Read More »
शहर छूटा पर भाषा न छूटी अहमदाबाद 2012 में जब अहमदाबाद में रहना शुरू किया तो भाषागत कुछ दिक्कतें आयी। जब हम घूमने को निकलते और किसी से कोई पता पूछते तो जो भी जबाब आता उसमें “चार रास्ता” का जिक्र जरूर आता जैसे कि अगले चार रस्ते से बाएं । कुछ दिनों में समझ
अद्वितीयता अपनी कुछ पुरानी, नाममात्र की सीमित उपलब्धिओं पर, छाती फुलाये जाना, चलना चौड़े से अकड़ कर दोहराना उन्हीं सतही चीजों को जतलाना जैसे कि बुद्धत्व मिल गया हो हमेशा आतुर सुनने को कुछ प्रसंशा के शब्द या कि अपना नाम लिया जाय महफिलों में बार बार। बैठकर उसके सामने ,बोलते रहना उन्हीं चीजों पर
Poem 2 : Uniqueness Read More »
कॉलेज के वो तीन साल । हम वहाँ से आते है मतलब जहां आपको सब कुछ खुद ही करना है, गाइडेन्स नाम की कोई चीज नही होती है। बहुत समय से सोच रहा हूँ कि इस पर लिखू पर लगता था कि कॉलेज की आलोचना होगी पर कभी न कभी लिखना ही था। मैंने भी
Three years in college Read More »