That dainty

वो अनोखा प्रसाद  यह १० अप्रैल २०१८ की बात है , अगले दिन मेरा सिविल सेवा का इंटरव्यू था। शाम को महर सिंह का फ़ोन आया। पाठक , महर सिंह से परिचित होंगे। काफी पहले उनकी कहानी लिखी थी। एयरफोर्स में जॉब करते हुए सिविल सेवा की परीक्षा पास की थी और मेरी जानकारी में […]

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7 years in Ahmedabad

7 साल अहमदाबाद में (०१)  जनवरी 2012 की एक रात मैंने जब साबरमती ट्रेन अहमदाबाद के लिए पकड़ी थी तो मैं पूरी तरह से निश्चित था कि बस कुछ महीने की जॉब है , जल्द ही नई नौकरी मिलेगी और मैं अहमदाबाद छोड़ दूँगा। वो  समय मेरे जीवन कुछ ऐसा समय था जब मुझे हर साल

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aatm dipo bhav

आत्म दीपो भव   गौतम बुद्ध ने आत्म दीपो भव यानि अपना दीपक स्वयं बनो का सूत्र दिया तो उसका आशय क्या था ? अक्सर हमारे सामने बहुत सी मुश्किलें , दुविधाएं होती है और उनके हल के लिए किसी न किसी का  आसरा चाहते है पर क्या वास्तव में कोई अन्य आपकी उलझन  को ज्यादा

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Story of an innocent boy

एक मासूम लड़के की कहानी  लगभग चार साल हुए होंगे यही अहमदाबाद की ही बात है। एक महीने के लिए मुझे डोरमेन्ट्री में रहना पड़ा था। वही उससे मुलकात हुयी थी। मेरे बेड के पास ही उसका बेड था। जब परिचय की बात आती है तो मेरी कोशिश रहती है कि जॉब के बारे में

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letter in AJKAL

‘आजकल’ का हिंदी की सुप्रसद्धि रचनाकार कृष्णा सोबती जी पर क्रेन्द्रित फरवरी अंक प्राप्त हुआ। कृष्णा सोबती के बारे में इतने अच्छे लेखों को एक साथ पाकर बहुत अच्छा लगा। कृष्णा  सोबती , आजादी के समय से लेकर अब तक  स्त्री स्वातंत्र्य की सबसे प्रबल   रचनाकार  रही है। उनके उपन्यासों , कहानी के पात्र अपनी जीवटता ,

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letter in outlook

4 जून 2018 का आउटलुक हिंदी का अंक मिला। पत्रिका में तमाम लेखों के बीच बशीर बद्र के बारे में लेख दिल को छू गया। अब वैसे फनकार क्यू नहीं मिलते। आरुषि बेदी का एड्स पर विस्तृत लेख , समकालीन समय में एड्स पीड़ितों की यथास्थिति को बयाँ करता है। देश में एड्स पीड़ितों की

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letter in Kadambini

मंच  कादम्बिनी का “अपनी अपनी आजादी ” पर क्रेन्द्रित अगस्त 2018 अंक पढ़ा। इस पत्रिका का काफी पुराना पाठक हूँ पर पत्र पहली बार लिख रहा हूँ। कादम्बिनी पत्रिका समकालीन समय में प्रकाशित होने वाली पत्रिकाओं में कई मायनों में अनूठी है। विषयवस्तु के अनुरूप गंभीर , शोधपरक लेखों के साथ , संवेदनाओं से पूरित

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Letter in Sarita

बुद्धिजीवियों के विचारों पर पहरेदारी  देश की सर्वश्रेष्ठ वैचारिक पत्रिका सरिता के अक्टूबर (प्रथम ) 2018 अंक में भारत भूषण जी के लेख को पढ़ा। समकालीन समय की विसंगति को यह लेख बखूबी दिखलाता है। निश्चित तौर पर अभिव्यक्ति की आजादी, ही किसी देश के लोकत्रांत्रिक मूल्यों का सही मायने में पैमाना होती है।  देश के

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इंडिया टुडे : a letter

इंडिया टुडे के  15 अगस्त अंक वाले अंक में मुजफ्फरपुर कांड के बारे में पढ़ का मन बहुत द्रवित हुआ। अगस्त महीने में हम आजादी का जश्न मनाते है पर उन मासूमों का क्या , जो शोषण के कुचक्र का शिकार बनें हैं। आशीष कुमार , उन्नाव उत्तर प्रदेश। 

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Chalo Narmda ke tire : 02

                           यात्रा वृतांत:  चलो नर्मदा के तीरे ( 02 ) दूसरी ओर खिचड़ी बनायी जा रही थी। मैंने कहा कि सब्जी मैं ही बनाऊंगा। पाठक जानते ही होंगे कि मुझे अच्छा खाना खाने के साथ साथ , लजीज स्वादिष्ट खाना बनाने का का बहुत

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