poem :fresh rose

कविता : ताजा गुलाब 
“जब तुम मेरी करीब होती हो
मुक्त मन से, आवरण रहित,
तुम मुझे एक ताजे गुलाब 
सरीखी लगती हो
अति कोमल, नाजुक 
भीनी भीनी खुसबू से भरी”
10 जनवरी, 2020,😌
© आशीष कुमार, उन्नाव

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