अच्छा आप लोगो ने कौन कौन कोर्स की किताबो के
अलावा किताबे पढने का शौक रखता है . मेरा मतलब नावेल , कहानिया , मैगजीन पढने से
है ..
अलावा किताबे पढने का शौक रखता है . मेरा मतलब नावेल , कहानिया , मैगजीन पढने से
है ..
मुझे कभी इन सबका का बहुत शौक हुआ करता था सच
कहूँ वो भी क्या life थी .
आज बस अचानक यूँ फील हुआ कि अब तो सिर्फ कोर्स की किताबे पढने का ही टाइम मिल पाता
है .. न जाने कितना टाइम हो गया होगा कोई मन का नावेल नही पढ़ा ..
कहूँ वो भी क्या life थी .
आज बस अचानक यूँ फील हुआ कि अब तो सिर्फ कोर्स की किताबे पढने का ही टाइम मिल पाता
है .. न जाने कितना टाइम हो गया होगा कोई मन का नावेल नही पढ़ा ..
पिछले साल अप्रैल में डेल्ही जाना हुआ था ..
मेट्रो के एक स्टेशन पर मुझे नेशनल बुक ट्रस्ट का बुक स्टाल दिख गया .फिर क्या था
उसमे तुरत घुस गया .. ५ किताबे खरीद डाला .सारी सारी कहानियों बुक थी .. बहुत मन
से खरीदा पर तब से अब तक उन्हें पढने की जरा भी इच्छा नही हुई .. कई बार उन्हें
उठा कर भी देखा पर न जाने क्यों मन ही तैयार नही हुआ ..
मेट्रो के एक स्टेशन पर मुझे नेशनल बुक ट्रस्ट का बुक स्टाल दिख गया .फिर क्या था
उसमे तुरत घुस गया .. ५ किताबे खरीद डाला .सारी सारी कहानियों बुक थी .. बहुत मन
से खरीदा पर तब से अब तक उन्हें पढने की जरा भी इच्छा नही हुई .. कई बार उन्हें
उठा कर भी देखा पर न जाने क्यों मन ही तैयार नही हुआ ..
अब शायद वो पहली सी आजादी नही महसूस होती है .यह
सच है सरकारी जॉब मिलना , इस दौर में भगवान मिलने सरीखा होता है .. इतनी मारा –मारी
है जॉब के लिए .. पर एक बार जॉब में आने के बाद ही पता चलता है कि यह तो वो चीज ही
नही थी जो सोची थी .. जॉब में रोज का वही ढर्रा रहता है ..
सच है सरकारी जॉब मिलना , इस दौर में भगवान मिलने सरीखा होता है .. इतनी मारा –मारी
है जॉब के लिए .. पर एक बार जॉब में आने के बाद ही पता चलता है कि यह तो वो चीज ही
नही थी जो सोची थी .. जॉब में रोज का वही ढर्रा रहता है ..
जब कभी भी मेरी चिंतक जी से मेरी बात होती है वो
कहते है कि कितना अच्छा है तुम्हे तो २१ साल में ही नौकरी मिल गयी थी पर मेरा उनसे
यह कहना होता है कि तुम भले बेरोजगार हो पर पढने के लिए आजाद हो .. तुमको सारा दिन
पढना ही है उससे अच्छी क्या बात हो सकती है .. सच तो यह है एक जॉब कर रहे व्यक्ति
जो साथ में तैयारी कर रहा होता है के लिए पढाई के लिए टाइम निकाल पाना कठिन होता
है .
कहते है कि कितना अच्छा है तुम्हे तो २१ साल में ही नौकरी मिल गयी थी पर मेरा उनसे
यह कहना होता है कि तुम भले बेरोजगार हो पर पढने के लिए आजाद हो .. तुमको सारा दिन
पढना ही है उससे अच्छी क्या बात हो सकती है .. सच तो यह है एक जॉब कर रहे व्यक्ति
जो साथ में तैयारी कर रहा होता है के लिए पढाई के लिए टाइम निकाल पाना कठिन होता
है .
इसलिए मै उन सभी पाठको को यह कहना चाहता हूँ कि
अगर आप को सिर्फ पढना है तो खूब जम कर पढ़े और सोचे कि आप भाग्यशाली है कि आपको
सिर्फ पढना है जरा उनको सोचे जो जिन्दगी में चुनौती उठाते हुए भी पढाई कर रहे है
मेरा मतलब उनसे है जिन्हें मजबूरी में जॉब करनी पड़ी जिन्हें अपने मन मुताबिक तैयारी करने के लिए के लिए
विरासत का सहयोग नही मिला .
अगर आप को सिर्फ पढना है तो खूब जम कर पढ़े और सोचे कि आप भाग्यशाली है कि आपको
सिर्फ पढना है जरा उनको सोचे जो जिन्दगी में चुनौती उठाते हुए भी पढाई कर रहे है
मेरा मतलब उनसे है जिन्हें मजबूरी में जॉब करनी पड़ी जिन्हें अपने मन मुताबिक तैयारी करने के लिए के लिए
विरासत का सहयोग नही मिला .
पिछले दिनों मेरी गूगल हैंगआउट पर अपने एक रीडर से बात हुई .. उनके पापा की कैंसर में डेथ
हो चुकी है ..वो और उनकी माँ .. अकेली लडकी अपनी माँ को भी सम्भाल रही है ..
पैत्रक साइबर कैफे को चलाते हुए तैयारी भी कर रही है ..ज्यादा बात तो नही हुई पर
यह कल्पना की जा सकती है कि उसके लिए तैयारी करना कितना जटिल होगा .. इसलिए मै
हमेशा इस बात पर जोर देता हु कि अगर आप लगन है और कुछ कर दिखाने का जस्बा है तो
सफलता कुछ देर से ही सही पर आपके कदम जरुर चूमेगी . ईमानदारी से प्रयास करते रहिये
.
हो चुकी है ..वो और उनकी माँ .. अकेली लडकी अपनी माँ को भी सम्भाल रही है ..
पैत्रक साइबर कैफे को चलाते हुए तैयारी भी कर रही है ..ज्यादा बात तो नही हुई पर
यह कल्पना की जा सकती है कि उसके लिए तैयारी करना कितना जटिल होगा .. इसलिए मै
हमेशा इस बात पर जोर देता हु कि अगर आप लगन है और कुछ कर दिखाने का जस्बा है तो
सफलता कुछ देर से ही सही पर आपके कदम जरुर चूमेगी . ईमानदारी से प्रयास करते रहिये
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