आज बात करते है। हम कौन है ? हम वो है जो बीच में रहते है। मतलब यह कि हम उच्च वर्ग से नही है कि कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ सके। एसी लगे रूम में 10 से 15 घंटे पढ़ सके। न ही हम हाशिये पर खड़े लोग है कि जैसी जिंदगी है स्वीकार कर ले। हम उन में है जो अपना रास्ता खुद बनाते है संघर्ष करते है। जॉब भी करते है जिम्मेदारियाॅ भी उठाते है। साथ ही लगे होते है कि नही हमे कुछ कर दिखाना है। मै जानता हुँ आप कर सकते है। हम इतने छोटे लोग है कि किसी से बताने की हिम्म्त नही होती है कि हम भी आईएएस की तैयारी कर रहे है। डर लगता है कि लोग कही हॅस न दे। मित्रो हसे जाने का भय सभी को सताता है। पर क्या हसे जाने के चलते ही आप तैयारी नही करेगे। लोगो को प्रेरित करना सभी को अच्छा लगता है। मुझे भी लगता है।मैंने बहुत से लोगो से बात की है कि तैयारी करने को जब कहता हू तो जबाब होता है कि नही यार अंपनी औकात नही है। मै इतने बड़े सपने नही देखता हूँ जबकि मै जानता हू कि वो सफल हो सकते है। उनमे प्रतिभा है। कुछ ऐसे भी लोग है जो कहते है कि जब तैयारी हो जायेगी तब फॉर्म डालेगे। मुझे लगता है कि जब तक आप फॉर्म नही डालेगे आप में तैयारी के लिए गम्भीरता नही आयेगी। पिछले दिनों मै एक ऐसे दोस्त के सम्पर्क में आया जो एयरफोर्स में जॉब करते हुए भी इस परीक्षा में सफल होने के कगार में है। ( आईएएस के इंटरव्यू में उसे 207 मिले है वो भी हिंदी माध्यम से। फाॅर्स में अधिकारी नही है वो जो आराम से चैम्बर में बैठ कर पढ़ाई करता हो। वो सैनिक है ज्यादा क्या लिखू पर आप समझ सकते है कि वो कैसे इसमें लगा है। कभी उस पर विस्तार से बात करुगा उसका इंटरव्यू भी प्रस्तुत करुगा।