Year 2017: An important year of Indian Economic History

वर्ष 2017 पर एक नजर 
वर्ष 2017 भारत के आर्थिक इतिहास में काफी महत्वपूर्ण माना जायेगा।  इस साल के शुरआत में देश विमुद्रीकरण के चलते नकदी की कमी से जूझ रहा था , जिसके चलते असंगठित क्षेत्र के कारोबारी काफी हलकान हुए। जैसा कि शंकर आचार्य ने अपने लेख ( 26 दिसंबर -17 ) को लिखा कि कानपुर , तिरुपुर , लुधियाना जैसे महत्वपूर्ण बिजनेस  हब में इसकी मार सबसे ज्यादा  देखी गयी।   मई और अप्रैल में जब देश में पर्याप्त नगदी हो गयी , एक बार फिर उन्हें बड़े संस्थागत बदलाव की कीमत चुकानी पड़ी।  1 जुलाई 2017 से वस्तु एवं सेवा कर लागु होने से काफी अफरा तफरी मच गयी। हालांकि सरकार ने अपने स्तर से हमेशा ही कारोबारियों की मदद करने के लिए तैयार दिखी। इसका बड़ा और सटीक उदाहरण हम विश्व बैंक द्वारा ईज ऑफ़ डूइंग बिजिनेस रैंकिंग में देख सकते है , जिसमे सरकार ने 30 स्थानों का महत्वपूर्ण सुधार किया। कारोबार की दिशा और दशा जानने के लिए , हम सकल घरेलू उत्पाद में परिवर्तन को भी ले सकते है। भारत ने अपनी पहली तिमाही में अनुमान से कही नीचे वृद्धि दर हासिल की , उसके बाद में थोड़ा सा सुधार हुआ। सार रूप में यह कहा जा सकता है कि इस  साल भारत के कारोबारियों को विविध संस्थागत बदलाव की कीमत चुकानी पड़ी है और उनके  सकल लाभ में  काफी गिरावट आयी है। नए साल में आशा की  जानी चाहिए कि पिछले साल के विविध बदलाव , एक व्यवस्थित रूप में स्थिर होकर , देश की अर्थव्यवस्था की सुढृढ़ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।   
आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

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